शिक्षासुकमा

माओवादी प्रभावित सुरपनगुड़ा में शिक्षा की नई पहल से बच्चों के सपनों को मिली उड़ा

युक्तिकरण योजना से नियमित शिक्षक की नियुक्ति

सुकमा =सुकमा जिले के कोंटा विकासखंड से लगभग 125 किलोमीटर दूर, घने जंगलों और पहाड़ियों से घिरे सुरपनगुड़ा गाँव में अब शिक्षा की नई सुबह हुई है। पहले जहाँ बच्चों की पढ़ाई शिक्षादूत पर निर्भर थी और माता-पिता शिक्षकों की कमी से चिंतित रहते थे, वहीं अब छत्तीसगढ़ शासन की युक्तिकरण योजना के अंतर्गत प्राथमिक शाला सुरपनगुड़ा में नियमित शिक्षक की नियुक्ति कर दी गई है।

यह गाँव माओवादी प्रभावित क्षेत्र में आता है, फिर भी बच्चों की शिक्षा के प्रति प्रशासन का समर्पण सराहनीय है। कलेक्टर  देवेश कुमार ध्रुव के मार्गदर्शन में युक्तिकरण प्रक्रिया को लागू कर बच्चों की संख्या के अनुसार शिक्षक पदस्थ करने का रास्ता आसान बनाया गया। अब स्कूल में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल रही है और अभिभावकों का विश्वास भी मजबूत हो रहा है। पूर्व में स्कूल में कक्षाएँ तो चलती थीं, पर नियमित शिक्षक न होने के कारण बच्चों का भविष्य अधूरा लग रहा था। अब नई व्यवस्था से बच्चों की पढ़ाई में निरंतरता आई है। अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने में उत्साहित हैं। साथ ही मध्यान्ह भोजन योजना से बच्चों को पोषण और पढ़ाई दोनों का लाभ मिल रहा है।

कलेक्टर  देवेश कुमार ध्रुव ने कहा कि शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है, चाहे वह किसी भी इलाके में क्यों न रहता हो। युक्तिकरण योजना से हम शिक्षा की गुणवत्ता और पहुँच दोनों को बेहतर बना रहे हैं।

सुरपनगुड़ा जैसे संवेदनशील और दूरस्थ क्षेत्र में शिक्षा का दीप जलाना प्रशासन की बड़ी उपलब्धि है। शिक्षक बच्चों को न केवल पढ़ा रहे हैं, बल्कि उन्हें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा भी दे रहे हैं।

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