वन मंत्री केदार कश्यप ने महुपाल बरई में लगाया पीपल का पौधा

जगदलपुर = वन मंत्री केदार कश्यप ने आज महुपाल बरई में वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। उन्होंने पीपल्स केयर संस्थान द्वारा आयोजित एक विशेष वृक्षारोपण अभियान में भाग लिया और पीपल का पौधा लगाया। इस अवसर पर महुपाल बरई में पीपल के 148 पौधे लगाए गए। ये सभी पौधे जल स्रोतों के निकट लगाए गए।
इस अवसर पर मंत्री कश्यप ने कहा कि पेड़-पौधे हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं और हमें इनके महत्व को समझना चाहिए। उन्होंने पीपल्स केयर संस्थान के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे अभियान समाज में जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने सभी नागरिकों से अपील की कि वे अपने आस-पास अधिक से अधिक पेड़ लगाएं और उनकी देखभाल करें।
पीपल्स केयर संस्थान के सुरेश यादव ने बताया कि यह अभियान विभिन्न चरणों में चलाया जा रहा है, जिसमें सरकारी अधिकारियों और स्थानीय समुदायों का सहयोग लिया जा रहा है। इस कार्यक्रम में जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती वेदवती कश्यप सहित जनप्रतिनिधिगण, वन विभाग के अधिकारी और स्थानीय लोग भी मौजूद थे।
पीपल का महत्व
पीपल भारत का एक बहुत ही महत्वपूर्ण पेड़ है, जिसका धार्मिक, आयुर्वेदिक और पर्यावरणीय, सभी दृष्टियों से विशेष स्थान है।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
भगवान बुद्ध का ज्ञान: पीपल को ‘बोधिवृक्ष’ भी कहते हैं, क्योंकि इसी पेड़ के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। यह बौद्ध धर्म में एक पवित्र वृक्ष माना जाता है।
हिंदू धर्म में पूजा: हिंदू धर्म में पीपल को देवताओं का निवास माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसकी जड़ों में ब्रह्मा, तने में विष्णु और पत्तियों में शिव का वास होता है। इसलिए, इसकी पूजा की जाती है और इसे काटना अशुभ माना जाता है। शनिवार के दिन इसकी पूजा करने का विशेष महत्व है।
पवित्रता: कई धार्मिक अनुष्ठानों और त्योहारों में पीपल की पूजा होती है।
वैज्ञानिक और पर्यावरणीय महत्व
सबसे ज्यादा ऑक्सीजन: पीपल एकमात्र ऐसा पेड़ है जो दिन और रात दोनों समय ऑक्सीजन छोड़ता है। यह इसे वायुमंडल को शुद्ध करने वाला सबसे प्रभावी वृक्ष बनाता है। लंबी उम्र: पीपल के पेड़ की उम्र बहुत लंबी होती है, कभी-कभी तो हजारों साल तक। पारिस्थितिकी तंत्र: यह कई पक्षियों, जानवरों और कीड़ों के लिए एक आश्रय और भोजन का स्रोत है, जिससे यह पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भूजल संरक्षण: इसकी गहरी जड़ें मिट्टी को बांधकर रखती हैं और भूजल स्तर को बढ़ाने में मदद करती हैं।
आयुर्वेदिक महत्व
आयुर्वेद में पीपल के हर हिस्से का उपयोग कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। पत्तियां: इसकी पत्तियों का उपयोग कब्ज, पेट दर्द और अस्थमा जैसी बीमारियों के इलाज में किया जाता है। छाल: छाल का उपयोग त्वचा रोगों, जैसे खुजली और फोड़े-फुंसी के इलाज में किया जाता है। फल: इसके फलों को दिल से जुड़ी बीमारियों और पाचन समस्याओं के लिए फायदेमंद माना जाता है। इन सभी कारणों से पीपल को ‘कल्पवृक्ष’ के समान माना जाता है, जो जीवन और आध्यात्मिकता दोनों का प्रतीक है।