बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारियों का उन्मुखीकरण हेतु एक दिवसीय संभाग स्तरीय कार्यशाला
बाल विवाह पर अब सख्त कार्रवाई होगी

बच्चों को समय से पहले विवाह के बंधन में न बाँधे। हर बच्चा पढ़े, बढ़े और सशक्त बने
जगदलपुर = आज दिनाँक 20.11.2025 को जिला कार्यालय के प्रेरणा सभागार में बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारियों का उन्मुखीकरण हेतु एक दिवसीय संभाग स्तरीय कार्यशाला आयोजित किया गया । अपर कलेक्टर सी. पी. बघेल ने कार्यशाला में उपस्थित सभी अधिकारी कर्मचारियों को बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ करने बाल विवाह रोकथाम संकल्प हेतु सभी को शपथ दिलाया।
कार्यशाला में मुख्य अतिथि बाल कल्याण समिति बस्तर के अध्यक्ष नरेंद्र पाणिग्राही ने कहा कि “बाल विवाह एक गंभीर सामाजिक अपराध है, जो बच्चों के भविष्य को अंधकारमय बनाता है। यह कानून का उल्लंघन है और इसमें संलिप्त किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। हर पंचायत, हर मोहल्ला और हर गांव में जागरूकता पहुंचे। समाज की भागीदारी से ही बस्तर को बाल विवाह मुक्त बनाया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि बाल विवाह रोकने में जब तक लोग स्वयं आगे आकर सूचना नहीं देंगे, तब तक इस कुप्रथा को समाप्त नहीं किया जा सकता। पाणिग्राही ने समाज से अपील कि है यदि आपके आसपास बाल विवाह की कोई तैयारी या संदेह हो, तो तुरंत पुलिस, चाइल्डलाइन 1098 या महिला एवं बाल विकास विभाग को सूचित करें। यह समाज का दायित्व है कि अपने बच्चों को समय से पहले विवाह के बंधन में न बाँधे। हर बच्चा पढ़े, बढ़े और सशक्त बने ।
कार्यशाला में मुख्य वक्ता नरेंद्र कुमार साहू सहायक प्राध्यापक (लॉ) द्वारा बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 में अंतर्गत आने वाले सभी धारा की विस्तृत जानकारी सभा कक्ष में बस्तर संभाग से उपस्थित बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी को दी। उन्होंने बताया कि बाल विवाह “बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006″ के तहत गंभीर अपराध है। बालक की आयु सीमा विवाह के समय 21 वर्ष एवं बालिका 18 वर्ष से कम नहीं होना चाहिए। 18 वर्ष से कम आयु की बालिका से विवाह करने वाला पुरुष को दंडनीय अपराध का दोषी माना जाएगा। जो कोई व्यक्ति या समाज प्रमुख बाल विवाह संपन्न कराता है, वह भी दोषी है। माता-पिता, अभिभावक, रिश्तेदार या कोई भी व्यक्ति जो बाल विवाह कराने में सहायता या प्रोत्साहन देता है, उसके विरुद्ध भी कार्रवाई होगी। इन अपराधों पर दो वर्ष तक का कारावास अथवा एक लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों की सजा का प्रावधान है। 
जिला कार्यक्रम अधिकारी कोंडागांव अवनि कुमार बिस्वाल ने भी कार्यशाला में कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार की मंशा है छत्तीसगढ़ का हर जिले बाल विवाह मुक्त हो । सरकार की मंशानुरूप महिला एवं बाल विकास विभाग को जमीनी स्तर पर कार्य करना होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को जानकारी दी जानी चाहिए एवं बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की जानकारी सभी ग्रामों में दीवारों में लेखन के माध्यम से दिया जाना चाहिए। जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग जागरूक हो सके।
जिला बाल संरक्षण अधिकारी डॉ विजय शंकर शर्मा ने बताया कि बस्तर जिले में अब बाल विवाह कराने, प्रोत्साहित करने या उसमें भाग लेने वालों के विरुद्ध कठोर कानूनी कार्यवाही की जाएगी। पुलिस, प्रशासन, महिला एवं बाल विकास विभाग और बाल कल्याण समिति सभी मिलकर निगरानी रखेंगे। कोई भी सूचना मिलने पर तत्काल प्राथमिकी (FIR) दर्ज की जाएगी। छत्तीसगढ़ सरकार की स्पष्ट मंशा है कि हर जिला “बाल विवाह मुक्त” घोषित हो। बस्तर इस दिशा में अग्रणी भूमिका निभाकर समाज को एक नई दिशा देने जा रहा है।
कार्यशाला में बस्तर संभाग के महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी कर्मचारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।




