गंगा मुंडा तालाब बना गंदा मुंडा.

Jagdalpur = गीता-वासुदेव वेलफेयर फाउंडेशन सोसाइटी वा सदस्यों, और कुछ वार्ड वासियों द्वारा गंगा मुंडा स्वच्छता अभियान के तहत दसवां रविवार 8 सितंबर 2024 को प्रातः 7 से 10:00 तक स्वच्छता अभियान चलाया गया जिसके तहत घाट की सफाई वा उसके किनारे उगी हुई वनस्पतियां, झाड़ी- झंकाल, खतपतवार, प्लास्टिक वा शराब की बोतले, झिल्ली-पन्नी, खराब कपड़े अन्य कचरे आदि निकले गए।
मंदिरों की वा धार्मिक तीज त्योहारों के समय पूजन की अन्य पूजासामग्री जो तालाबों में विसर्जित की जाती है, तालाब से निकली गई। सबको साफ कर घाट के ऊपर एक कोने पर एकत्रित किया गया। तालाब के चारों तरफ चार-पांच मंदिर है वा ऐतिहासिक बड़ा तालाब होने के कारण अनेक प्रकार की धार्मिक अनुष्ठान वा कार्यक्रमों से बची हुई सामग्री लोग वहीं पर विसर्जित कर दी जाती हैं, उससे भी तालाब को बहुत नुकसान पहुंच रहा है।
समिति के सदस्यों ने लोगों को वहां कचरा ना फेंकने की घर-घर जाकर सलाह दी वा स्वच्छता जागरण अभियान चलाया…।
गीता वासुदेव वेलफेयर फाउंडेशन सोसाइटी का उद्देश्य लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करना वा नागरिक होने की जिम्मेदारियां का निर्वाह करना और परिवार समाज आदि को जन जागरण अभियान के तहत सजग कर स्वच्छता के बारे में बताना वा उसके फायदे से अवगत कराना है।
वस्तुत सीमित साधनों वा व्यक्तिगत राशि से संचालित वेलफेयर सोसाइटी का यह प्रयास की लुप्त होते गंगा मुंडा तालाब को सुरक्षित व संवर्धित कर उसका ब्यूटीफिकेशन के प्रति शासन प्रशासन का ध्यान आकर्षित करना है।
रविवार के कार्यक्रम में बड़े उत्साहपूर्वक समिति के सदस्यों ने वा समाज के लोगों ने भाग लेकर बड़े जोश वा मन से सफाई अभियान में भाग लिया। यह अभियान निरंतर चलता रहेगा, ताकि इस शहर के मात्र बचे हुए दो तालाब में दूसरा सबसे बड़ा ऐतिहासिक तालाब को सुरक्षित किया जा सके।
यहां पर यह बात बहुत अहम है कि उस पूरे इलाके का जल भूस्तर इसी तालाब की वजह से बना हुआ है, जो अब पूरी तरह गंदगी की वजह से “गंगा मुंडा की जगह गंदा मुंडा” बनता जा रहा है।
अभियान में गीता-वासुदेव वेलफेयर फाउंडेशन सोसाइटी के अध्यक्ष डी.के पाराशर, उपाध्यक्ष अजय पाल सिंह जसवाल, पूनम शर्मा, दीपक साहू, पांडव भोल, सादिक सिद्धकी, वीरेंद्र बहोते, रजनीश आचार्य, एस.आर साहू, विजय डडसेना, दीपक सुंदरानी, टी.के मिश्रा, दीपक श्रीवास्तव, एस.के पॉल, बी.टी विश्वास, हरिशंकर झा, आर मरकाम, एस. आर साहू, हीरामन कुकडे, राहुल उपाध्याय, शेख फारूक आदि ने अपना भरपूर सहयोग दिया।