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महारानी अस्पताल के शिशु एवं मातृ स्वास्थ्य संस्थान में चार जुड़वा नवजात शिशुओं को मिला जीवनदान

सुकमा जिले की दशमी कवासी के चार जुड़वा शिशुओं को जन्म के बाद थी श्वसन की दिक्कत, एक महीने तक एसएनसीयू में दी गई लाईफ सपोर्ट

जगदलपुर = महारानी अस्पताल जगदलपुर के शिशु एवं मातृ स्वास्थ्य संस्थान की समुचित देखभाल एवं एसएनसीयू में एक महीने तक दी गई लाईफ सपोर्ट के फलस्वरूप आज दशमी कवासी के चार जुड़वा बच्चे स्वस्थ एवं तंदुरुस्त हैं और मां दशमी कवासी के साथ परिजन महारानी अस्पताल के चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टॉफ की मानवीय संवेदनाओं के साथ दिए गए सेवाओं के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हैं। मंगलवार को महारानी अस्पताल के निरीक्षण में पहुंचे प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री  श्याम बिहारी जायसवाल ने भी इन चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टॉफ की संवेदनशील सेवाओं को सराहना करते हुए उन्हें बस्तर अंचल की जनता को अनवरत बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए उत्साहवर्धन किया। ज्ञात हो कि साल भर पहले 25 जुलाई 2024 को जगदलपुर में सुकमा जिले के तोंगपाल थाना अंतर्गत ग्राम जैमर निवासी श्रीमती दशमी कवासी ने एक निजी अस्पताल में सिज़ेरियन ऑपरेशन के माध्यम से चार जुड़वा शिशुओं (क्वाड्रप्लेट्स) को जन्म दिया था।

जन्म के समय उक्त चारों नवजातों का वजन अत्यंत कम था। इन चार शिशुओं में 2 लड़के और 2 लड़कियाँ थीं, जिनका जन्म के समय वजन क्रमशः 1.3 किलोग्राम, 1.2 किलोग्राम, 1.1 किलोग्राम और 1.25 किलोग्राम था। जन्म के तुरंत बाद सभी शिशुओं को साँस लेने में कठिनाई (श्वसन संकट) उत्पन्न हो गया, जिस कारण उन्हें विशेष देखभाल हेतु महारानी अस्पताल में भर्ती कराया गया। इन चारों में से एक बच्ची की हालत गंभीर थी, जिसे पुनर्जीवन (resuscitation) की आवश्यकता पड़ी। तीन शिशुओं को सीपीएपी (CPAP) पर रखा गया और एक को वेंटिलेटर सपोर्ट देना पड़ा। इन बच्चों के इलाज हेतु आवश्यक सभी दवाइयाँ और जाँचों की पूरी व्यवस्था सरकार द्वारा सीजीएमएससी के माध्यम से की गई।

महारानी अस्पताल की समर्पित चिकित्सकों और नर्सेस टीम ने इन नन्हें जीवनों को बचाने के लिए निरंतर निगरानी, ऑक्सीजन सपोर्ट और पोषण प्रबंधन प्रदान किया। मां दशमी कवासी और अस्पताल के स्टाफ के अथक प्रयासों से चारों शिशुओं की स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हुआ और एक महीने बाद उन्हें वजन बढ़ने के साथ स्वस्थ अवस्था में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। छुट्टी के समय उनका वजन क्रमशः 1.79 किलोग्राम, 1.53 किलोग्राम, 1.3 किलोग्राम और 1.6 किलोग्राम था।

उक्त चारों बच्चे स्वस्थ और समृद्ध जीवन जी रहे हैं। यह कहानी चिकित्सा सेवा, एक मां के प्रेम और समुदाय के सहयोग की शक्ति का सजीव प्रमाण है। यह उन परिवारों के लिए आशा की किरण है, जो इसी तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं और यह दर्शाती है कि समय पर स्वास्थ्य सेवाएं मिलने से नाज़ुक से नाज़ुक जीवन भी संवर सकता है।

Krishna Jha

Editor In Chief - Tahalka Today

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